जब बारिश की बूंदों से...

हर्ज़ ही क्या है
दो पल मुस्कराने में?
जब दुनिया खिलखिलाये तो!

जब बारिश की बूंदों से,
बूंदों की बारिश से,
काजल बह जाए तो,

धरती खिल उठती है,
नैनों का काजल जो,
उसको मिल जाए तो।

जब आँखों के अश्कों 
बहता जो पलकों से,
काजल बह जाये तो,

नदियों में बहती है
अश्कों की धारा जब,
आंसू तेरे आएं तो।

पर तेरे हंसने से
खुश हर पल रहने से
कलियाँ जब खिल जाएं तो,

अंबर भी हँसता है
होठों की मुस्कान जब
उसको ये मिल जाये तो।

तेरे खुश रहने से
दुनिया को थोड़ी सी
ख़ुशी जो मिल जाये तो

हर्ज़ ही क्या है
दो पल मुस्कराने में?
जब दुनिया खिलखिलाये तो!
- गौतम

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