पाँव, मिठाई और कागज़ (दो)



पाँव, मिठाई और कागज़ 
(कविता का विषय मानसी जैन द्वारा सुझाया गया)





मग्न इतना था बेपरवाह, कि
पाँव पर पत्थर चुभ गया,
जब लौट रहा था लिए
थोड़ी मिठाई, और ख़ुशी मुखड़े पे |  

ये भी न पढ़ पाया कि मुफ़्त
हो रहा है इलाज पाँव का
जो लिखा था मिठाई से
लिपटे उस कागज़ के टुकड़े पे ||  




- गौतम

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