भूत-पिशाच
अम्मा ने कितना समझाया
ये भूत-पिशाच सब पागलपन है ...
बंद कमरे में बैठे-बैठे
ये लाख बार तो सोचा होगा,
ये लाख बार तो सोचा होगा,
बत्ती बंद करने पर कोई
आ जाये तो फिर क्या होगा ?
अम्मा ने कितना समझाया
ये भूत-पिशाच सब पागलपन है।
हमने भी सोचा फिर ये सब
शायद माथे का ही वहम है।
काम-वाम के चक्कर में फिर
भूल गए भूतों का फ़ेरा,
फिर अनायास ही शंका उभरी
जब कुछ बातों ने आ घेरा,
कुछ ऐसी चीज़ें हैं, अक्सर
जो बहुत डराया करती हैं,
न काया है, न साया है
पर बड़ा दायरा रखती हैं।
उन चीज़ों को फिर क्या बोलें
जो खुशियों में आड़ा करती हैं ?
प्रत्यक्ष कभी ना आएं पर,
मन में ही मारा करती हैं।
मन में कुंठा, द्वेष-जलन,
छीना-झपटी और ग़बन,
पीठ में छूरा, दोहन-शोषण,
और ऐसे ही कितने पागलपन।
ये सब भी गायब हैं किन्तु,
हर घर में इनका एक घर है
अम्मा को कैसे समझाऊं की
भूत-पिशाच सब असलीपन है ?
- गौतम

mast hai kaviji...
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